Friday, July 30, 2010

पहले शब्द

एक सम्मलेन में पैन आइ आइ टी के पूर्व अध्यक्ष अशांक देसाई ने कहा था कि आज के दौर में प्रेरणा स्रोत होना भी एक आवश्यक उत्तरदायित्व है. आज के  विस्तार और फैलाव को देखते हुए अपने  समकालीन और विशेष कर कनिष्ठ सहयोगियों के साथ अपने विचारों का आदान प्रदान एक महत्वपूर्ण दायित्व बन गया है. अपनी त्रुटियों और खामियों की पूरी जिम्मेदारी लेते हुए बड़ी  विनम्रता से शुरुआत कर रहा हूँ.

पिछले पच्चीस सालों के अनुभव से यह बात तो ज़ाहिर है कि अब के माहौल में विश्व के स्तर पर भी और भारत के अन्दर भी काम करने के अवसर बड़े भी हैं और अधिक संभव भी हैं. साथ ही ये संभावनाएं और तेज़ी से बढ़ रही हैं. तो हमारे बाद आने वाले सहयोगियों से अपेक्षाएं भी ज्यादा हैं. तो उनके साथ हमें मिल कर काम करना होगा.

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