इस वर्ष की पहली तारीख को मुझे न्यू जर्सी में अर्षबोध केंद्र में स्वामी तदात्मानंद का प्रवचन सुनने का मौका मिला. यह अनुभव इतना शालीन और मन को छू लेने वाला था कि इसके बारे में लिखने की बड़ी इच्छा हुई.
स्वामी जी अमरीकी हैं और इंजीनियरिंग की शिक्षा पाई है. उन्होंने बाद में स्वामी दयानंद से शिक्षा पा कर सन्यास की दीक्षा ली है. अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों के सहयोग से वे यह आश्रम चलाते हैं. उनके कार्यक्रम बच्चों, और किशोरों के लिए भी हैं और वेंदांत के विषयों पर हैं.
स्वामी जी की वेब साईट पर उनके प्रवचन और कक्षाओं की ऑडियो फाइलें हैं. उन्होंने प्रत्येक श्लोक का छंदबद्ध अनुवाद किया है जिससे गीता को अंग्रेजी में भी गा कर पढ़ा जा सकता है. संस्कृत के श्लोक तो पहले से ही छंदों में हैं.
उनकी व्याख्या बड़ी सटीक और सरल है. और वे सबको श्लोकों को गाने की सलाह देते हैं.
गाने का महत्व असाधारण है.
उन्होंने एक बार दिल्ली में गीता जयंती के अवसर पर इसका पूरा उच्चार किया. उस समय तक उनका संस्कृत ज्ञान इतना अच्छा हो गया था कि उन्हें श्लोकों के अर्थ अच्छी तरह समझ में आ रहे थे. गीता के श्लोक इतने गहरे और इतने उत्कृष्ट हैं कि इस अनुभूति में विह्वल हो कर उनकी आँखों से आंसू छलक पड़े. आंसू अंतःकरण को शुद्ध करते हैं. भक्ति में आंसू आना अनिवार्य माना जाता है. ऐसी गहरी अनुभूति का उल्लेख कुछ मुस्लिम विद्वानों ने काबा में जाने पर होने का किया है.
संस्कृत की शालीनता तो असाधारण है. गीता के श्लोकों का उच्चार और उनकी व्याख्या सुनना एक अत्यंत ही प्रिय अनुभूति है.
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